किसान साथियों नमस्कार, धान की फसल में किसानों को काफी ज्यादा रोग देखने को मिलते हैं। इनमें से ज्यादातर रोग फंगस या कीटों की वजह से आपकी फसल में आते हैं। धान में लगने वाले रोगों में तना छेदक एक आम रोग है। जिसका उपचार लगभग सभी किसानों को करना पड़ता है। तना छेदक आपकी फसल में 30 से 70% तक का नुकसान कर सकता है। लेकिन जब आपकी फसल 40 से 60 दिन की हो तब यह आपकी फसल को इतना ज्यादा नुकसान नहीं करता। जितना बालियाँ निकालने के बाद करता है। इसलिए इसकी रोकथाम समय पर कर लेनी चाहिए। जिससे आपकी फसल को नुकसान से बचाया जा सके।
धान में तना छेदक की पहचान
धान में तना छेदक मुख्य रूप से 20 दिन के बाद आपको अपनी फसल में देखने को मिल जाता है। तना छेदक का कीड़ा जड़ से निकलने वाली मुख्य शाखा को अपना शिकार बनाता है। इसमें धान की मुख्य शाखा सूख जाती है, और आसानी से बाहर निकल जाती है। अगर आप गोभ को खींच कर देखोगे, तो उसका अंदर वाला भाग काला दिखाई देगा और उसमें अजीब सी गंध आएगी। धान के तने के अंदर सुंडी होती है, जो तने को काटकर नुकसान करती है। धान में तना छेदक की शुरुआती स्टेज में आपको खेत में पीली और सफेद तितली दिखाई देती हैं। जो पत्तों पर अंदर अंडे देती है। इन अंडों से लार्वा बनाकर बाद में तना छेदक की सूंड तैयार होती है। जो तने के अंदर घुसकर तने को काट देती है। पत्तों के ऊपर आपको रुई जैसे घोसला बने होते हैं। जिनमें से बाद में सुंडी निकलती है। यह सुंडी पौधे में नीचे की तरफ से घुसकर ऊपर की तरफ को खाती हुई, नुकसान करती है। धान की फसल में सफेद बोलियों का आना भी इसी सुंडी के कारण ही होता है।
धान में तना छेदक की रोकथाम
धान में तना छेदक की रोकथाम आप दानेदार कीटनाशक और स्प्रे वाले कीटनाशक दोनों तरीके से कर सकते हैं। अगर आप दानेदार कीटनाशकों का इस्तेमाल करना चाहते हैं। तो उनको जमीन में डालकर भी आप अपनी फसल में गोभ वाली सुंडी को आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं। दानेदार कीटनाशकों को डालते समय खेत में पर्याप्त मात्रा में पानी का खड़ा होना जरूरी होता है। इसे ही आपकी फसल पर दानेदार कीटनाशकों का असर देखने को मिलता है। बालियाँ निकालने के समय धान में 10 प्रतिशत तक तना छेदक का अटैक हो। तभी कीटनाशकों का इस्तेमाल करें। जब पौधे छोटे हो तो कम मात्रा में दवाई डालें और जब पौधे बड़े हो तो अधिक मात्रा में दवाई डालनी पड़ती है।
धान में तना छेदक के लिए मुख्य दानेदार कीटनाशक
धान में तना छेदक की रोकथाम के लिए वैसे तो आपको बाजार में कई तरह के कीटनाशक देखने को मिलते हैं। लेकिन इनमें से सबसे अच्छा कीटनाशक काकारटैप हाइड्रोक्लोराइड 4%GR होता है। इसकी 7 किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़ प्रयोग की जाती है। इसको आप रेत में मिलाकर इस्तेमाल करें। तो इसके काफी अच्छे रिजल्ट देखने को मिलते हैं। इसको आप यूरिया के साथ इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही फर्टर (fertera)FMC की 4 किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़, वाइब्रेंट (vibrant)PI की 5 किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़ भी आप प्रयोग कर सकते हैं। इनके भी काफी अच्छे रिजल्ट देखने को मिलते हैं।
धान में तना छेदक के लिए स्प्रे वाले मुख्य कीटनाशक
धान में तना छेदक की रोकथाम स्प्रे द्वारा आसानी से और सस्ते में की जा सकती है। स्प्रे वाली दवाइयां आपको कम खर्चे में काफी अच्छे रिजल्ट निकल कर देती हैं। धान में तना छेदक की रोकथाम के लिए आप कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 50sp की 200 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ प्रयोग कर सकते हैं। इसके साथ-साथ आप कॉरेजन (coragen) FMC की 60ml मात्रा प्रति एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी की 100 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ भी प्रयोग कर सकते हैं। अगर आपकी फसल में तना छेदक का अटैक काफी ज्यादा मात्रा में देखने को मिल रहा है। तो आप दो दवाइयां को मिलकर भी स्प्रे कर सकते हैं। इसके रिजल्ट आपको जल्दी और काफी अच्छी देखने को मिलेंगे।
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